Thursday, October 25, 2012

तेरे नाम



अंधेरो के बाज़ार को रात का नाम दे दिया
घमो के बादल को बरसात का काम दे दिया 
खुदी में तड़प रहा था  मैं
और खुदा ने मुलाकात को एक दाम दे दिया

नीले लहू को शाई का नाम दे दिया 
हरे ज़ख्मो को जुदाई का जाम दे दिया 
तुझे देखने की उम्मीद में जी रहा था 
मेरे बेरंग सपनो को तन्हाई का शाम दे दिया

उसकी यादों को अतीत का नाम दे दिया
उसके मुस्कान को मीत का अंजाम दे दिया
तकदीर ने भी हमें यह दिन दिखाया,
उसके मोहब्बत को जीत का पैघाम दे दिया 

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